Tuesday, 3 December 2013

मीडिया को फुर्सत नहीं कि इस ओर झांके?

दिल्ली में गौ भक्त फैज़ और साथियों का आमरण अनशन
गिरीश पंकज
988353_291719470982251_319960090_nभारत में गो-हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध हेतु दिल्ली स्थित जंतर-मंतर पर 10 नवम्बर से 9 लोग आमरण अनशन कर रहे हैं. ये लोग अपना जीवन होम करने का संकल्प ले कर बैठे हैं, मगर धन्य है इस देश का मीडिया जिसे फुरसत नहीं कि वो इन गौ भक्तों पर एक रिपोर्ट तैयार करे और दिखाए। उसे वाहियात बातों पर स्टोरी करने से फुरसत मिले तब न? लेकिन कोई बात नहीं, क्रांतिकारी मीडिया की परवाह नहीं करते, वे तो अपना काम करते हैं.
युवाशक्ति के प्रतीक मोहम्मद फैज़ खान को आदर-स्नेह से लोग ”भाईश्री’ ‘ कह कर भी बुलाते है। फैज़ के बारे में यहाँ मुझे बताना अच्छा लगेगा कि यह युवक रायपुर का है और बाल्य काल से ही सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित रहा है.वाद-विवाद प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगी, युवा महोत्सव वगैरह के अनेक आयोजनो में फैज़ की उपस्थिति रहती आयी है. अपने देश के महनायकों के जीवन का गहरा प्रभाव फैज़ पर पड़ा, उसे अच्छी कविता, अच्छे विचारो ने हमेशा प्रभावित किया, ऐसे युवाओं के मुस्लिम समाज के प्रति किसी का नज़रिया सकारत्मक हो जायेगा। फैज़ ने मुझे बहुत मान दिया, उसे मेरी प्रेरणा देने वाली कविताएं भी याद है. मेरी ही नहीं अनेक शायरों की रचनाएं उसे कंठस्थ हैं।
एक बेहतर सोच वाले युवा के रूप में फैज़ को मैं जानता तो था, मगर वह गौ माता का इतना बड़ा भक्त निकलेगा, इसकी कल्पना नही थी, दो साल पहले की बात है, जब हैदराबाद के एक विश्वविद्यालय में कुछ छात्रो द्वारा गौ मांस भक्षण उत्सव मनाया गया था. उस खबर को पढ़ कर मैंने दुखी मन से फेसबुक की अपनी वाल पर लिखा था कि इसके विरुद्ध प्रदर्शन होना चाहिए। मेरी बात को पढ़ कर फैज़ विचलित हो गया। उसने अपनी वाल पर लिखा कि अगले दिन मैं धरना स्थल पर अपने साथियो के साथ धरने पर बैठ रहा हूँ। उसके इस आह्वान का नतीज़ा यह हुआ कि अनेक लोग धरना स्थल पर पहुँच गए, मुस्लिम गौ रक्षा समिति के भाई मुज़फ्फर अली भी अपने साथियों के साथ वहाँ पहुच गए. दिन भर धरना दिया गया । इस घटना से लोग दंग रह गए, शर्मसार भी हुए कि जो काम हमें करना था, वो फ़ैज़ कर रहा है लेकिन मुझे गौरव हुआ कि फैज़ जैसे लोग गौ माता के लिए चिन्तित है.
फैज़ को जब पता चला कि मैंने भारतीय गायों की दुर्दशा पर एक उपन्यास (एक गाय की आत्मकथा) भी लिखा है तो उसने उसे पढ़ने की इच्छा की, तब मैंने उसे एक प्रति सप्रेम भेंट कर दी. उस कृति के कारण फैज़ के मन में और उत्साह जगा और गौ सेवा की दिशा में फैज़ के कदम कुछ ऐसे आगे बढ़े कि वह पूरी तरह गौ-मय ही हो गया.और देश भर में घूम-घूम कर गौ रक्षा के कम में लग गया। फैज ने जगह-जगह जा कर प्रवचन शुरू किया भारतीय संस्कृति की बात की, गौ रक्षा के लिए प्रेरित किया, मुझे यह देख कर अच्छा उसने मेरे उपन्यास एक गाय की आत्मकथा को भी समय-समय पर याद किया. यह फैज़ की विनम्रता है कि उसने अनेक बार यह कहा कि गिरीश पंकज के उपन्याम के कारण मुझे गौ रक्षा अभियान चलाने की करने की प्रेरणा मिली है. फैज़ ने अपने करके प्रकाशक से उपन्यास की सौ से ज़्यादा प्रतिया खरीदी और उसे साध्वी ऋतम्भरा, गोपाल मणि जैसे अनेक दिग्गजों को भेंट किया, आज के ज़माने में ऐसा कौन करता है? किसे की कृति का प्रचार करने का यह अद्भुत उदाहरण है
फैज़ खान का संकल्प था कि वह देश में गौ ह्त्या पर पूर्णतः प्रतिबन्ध की मांग को ले कर अपने सौ साथियों के साथ दिल्ली के जंतर-मंतर आमरण अनशन पर बैठेगा, तब मैंने उसके रायपुर प्रवास के दौरान आशंका जाहिर की थी कि इतने लोग जुट नहीं पाये तो? तब फैज़ ने कहा था कि कोई बैठे या बैठे, मैं तो बैठूँगा ही, और ऐसा ही हुआ. फैज़ ने कहा था कि वो 10 नवंबर को आमरण अनशन पर बैठेगा , उसे सौ लोग तो नहीं मिले, मगर खुशी की बात है कि उसके साथ आठ लोग आ गए. यहाँ मुझे यह भी बताना चाहिए कि सिविल इंजीनियर रेणुका शर्मा ने अपनी जमी-जमाई नौकरी छोड़ दी और उसने भी फैज़ के साथ कंधे से कंधा मिला कर गौ रक्षा का संकल्प ले लिया है . जंतर-मंतर पर आमरण अनशन पर बैठने वाले ये लोग हैं- १. श्रीमती संजुलता शर्मा – आगरा (उत्तर प्रदेश) २. श्री जीतेन्द्र भार्गव – सुजानगड़ (राजस्थान) ३. स्वामी श्यामाश्याम जी महाराज – आगरा (उत्तर प्रदेश) ४. श्री उत्तम प्रकाश – सुजानगड़ (राजस्थान) ५. मोहम्मद फैज खान – रायपुर (छत्तीसगढ़) ६. श्री मुकेश कुमार त्यागी – आगरा (उत्तर प्रदेश) ७. आजाद बृजपाल शर्मा – कुरुक्षेत्र (हरियाणा) ८. श्री बासुदेवशरण त्रिपाठी – ललितपुर (बुंदेलखंड) ९. श्री अरविन्द भारत – श्रीरंगपट्टनम (कर्नाटक) प्रणम्य ही है.
गुरु गोबिंद सिंघ जी ने कहा था , ‘सवा लाख से एक लड़ाऊँ , गुरू गोविन्द तब कहाऊं”. गौ सेवा के लिए आमरण अनशन पर बैठे ये लोग इतिहास बना चुके है , देश के विभिन्न हिस्सो से आकर ये गौ माता के भक्त अपनी जान की परवाह न कर के अनशन पर बैठ गए है. यह कितने गर्व की बात है कि फैज़ और उनके साथियों का समर्थन करने के लिए कोलकता में सुशील कुमार पाण्डे और उनके कुछ साथी भी अनशन पर बैठ गए है. काश, दिल्ली और कोलकता की तरह देश के अन्य शहरों में भी ऐसे अनशन शुरू हो पाते . मुझे उम्मीद है कि फैज़ और उनके तमाम साथियों की मेहनत रंग लाएगी और एक दिन पूरे देश गौ हत्या पर पूर्ण प्रतिबन्ध . की मांग को लेकर लोग आमरण अनशन पर बैठेंगे। तभी सरकार पर दबाव बनेगा, गौ मांस का निर्यात रुकेगा, यह देश अपनी सांस्कृतिक स्मृति को भूल-सा गया है , उसे याद दिलाना ज़रूरी है. फैज़ जैसे युवको के कारण दिल्ली और कोलकता से गौ क्रांति शुरू हुयी है, अब यह पूरे देश में फैले। इस देश में क्रांति धीरे-धीरे असर करती है, लेकिन शुरुआत ज़रूरी है , यह हो चुकी है, और बात निकली है तो फिर दूर तलक जायेगी। जंतर-मंतर पर रोज़ अनेक लोग आ रहे हैं और फैज़ सहित सारे अनशनकारियों का हौसला बढ़ा रहे हैं। यह हौसला ही इन अनशनकारियों की ताकत भी है।

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Note: Dear Friends….Excuse any mistake in my writing